ब्रह्मांड की उत्पत्ति | - DailyDozzz Hindi- Expedition Unknown

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शनिवार, 25 जुलाई 2020

ब्रह्मांड की उत्पत्ति |

THE BIG BANG THEORY


आज हम, जिस दुनिया और Universe में रह रहे हैं उसकी उत्पत्ति आज भी एक रहस्य है। सृष्टि के पहले क्या था ? इसकी रचना किसने, कब और क्यों की ? ऐसा क्या हुआ जिससे इस सृष्टि का निर्माण हुआ ? क्या ये यूनिवर्स एक ही जगह ठहरा हुआ है या इसमें हर रोज बदलाव हो रहे हैं? अनेकों अनसुलझे प्रश्न है जिनका एक निश्चित उत्तर किसी के पास नहीं है। कुछ सिद्धांत है जो कुछ प्रश्नों का उत्तर देते है और कुछ नये प्रश्न खड़े करते है?  सभी प्रश्नों के उत्तर देने वाला सिद्धांत अभी तक सामने नहीं आया है, सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त सिद्धांत है, महाविस्फोट सिद्धांत इन सवालो के जवाब 'BIG BANG THEORY' से मिलते हैं| 

1929 में एडवीन हब्बल ने एक आश्चर्य जनक खोज की, उन्होने पाया की अंतरिक्ष में आप किसी भी दिशा में देखे आकाशगंगाये और अन्य आकाशीय पिंड तेजी से एक दूसरे से दूर हो रहे है। दूसरे शब्दों मे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। इसका मतलब यह है कि इतिहास में ब्रह्मांड के सभी पदार्थ आज की तुलना में एक दूसरे से और भी पास रहे होंगे। और एक समय ऐसा रहा होगा जब सभी आकाशीय पिंड एक ही स्थान पर रहे होंगे, लेकिन क्या आप इस पर विश्वास करेंगे ? 

वैज्ञानिक एडवीन हब्बल से पहले, अधिकांश खगोलविदों(astronomers) ने सोचा था कि ब्रह्मांड में परिवर्तन नहीं हुआ है। लेकिन अगर ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, तो यह क्या कहता है कि यह अतीत में कहां था? 

यदि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, तो अगला तार्किक विचार यह है कि अतीत में यह छोटा था।

अधिकांश खगोलविदों(astronomers) का मानना है कि Universe, Big Bang नामक एक घटना के दौरान बना था - एक विशाल विस्फोट जो 10 से 20 अरब साल पहले हुआ था। 


 यदि हम वर्तमान में शुरू करते हैं और अतीत में वापस जाते हैं, तो यह पायगे की ब्रह्मांड सिकुड़ रहा है, छोटा और छोटा हो रहा है। Big Bang Theory इस बारे में अग्रणी व्याख्या है कि ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे हुई। यह यह सबसे सरल रूप में, कहता है कि ब्रह्मांड जैसा कि हम जानते हैं कि यह एक छोटे से विलक्षणता(singularity) के साथ शुरू हुआ था, फिर अगले 13.8 बिलियन वर्षों से अधिक समय पहले उसे ब्रह्मांड में फैल गया जिसे हम आज जानते हैं, क्योंकि वर्तमान उपकरण खगोलविदों(astronomers) को ब्रह्मांड के जन्म के समय वापस आने की अनुमति नहीं देते हैं, Big Bang Theory के बारे में हम जो कुछ भी समझते हैं वह गणितीय सूत्रों और मॉडलों से आता है।


बिग बैंग सिद्धांत(Big Bang theory) के अनुसार, ब्रह्मांड लगभग 13.7 अरब साल पहले शुरू हुआ था। ब्रह्मांड के सभी कण एक दूसरे से एकदम पास पास थे। वे इतने पास पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर, सारा ब्रह्मांड एक बिंदु की शक्ल में था। जो एक एकल, गर्म, अराजक द्रव्यमान(chaotic mass) के रूप में एक बिंदु रूप में थे जिसमे एक बड़ा विस्फोट - एक बड़ा धमाका हुआ, जिससे ब्रह्मांड का तेजी से विस्तार होना शुरू हो गया। ब्रह्मांड में सभी पदार्थ और ऊर्जा और यहां तक कि अंतरिक्ष भी, इस विस्फोट से बाहर आए है, Big Bang के दौरान, ब्रह्मांड में अंतरिक्ष, समय, पदार्थ और ऊर्जा सभी का निर्माण हुआ। इस विशाल विस्फोट ने सभी दिशाओं में पदार्थ को फेंका और अंतरिक्ष में खुद का विस्तार किया। जैसे ही ब्रह्मांड ठंडा हुआ, उसमें मौजूद सामग्री ने आकाशगंगाओं, तारों और ग्रहों के रूप में जगह ले बना ली।



 Theory से दो चीजें समझ आती हैं-
  • Universe की सारी गैलेक्सी लगातार हमसे दूर जा रही हैं
  • जो गैलेक्सी जितनी दूर है, उतनी ही तेजी से और दूर जा रही हैं
Universe  की स्टडी करने वाले ज्यादातर वैज्ञानिक इस THEORY पर भरोसा करते हैं. अभी तक कोई ऐसा Instrument नहीं बना है जिससे Universe  की शुरुआत के बारे में एकदम सटीक कुछ कहा जा सके. मैथेमेटिकल फॉर्मूला और मॉडल पर आधारित इसी THEORY के जरिए Universe  को समझने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, वैज्ञानिक Cosmic microwave background सिद्धांत के जरिए Universe  के लगातार विस्तार को देख सकते हैं| 






After the Big Bang

Big Bang के बाद पहले कुछ क्षणों में, ब्रह्मांड अकल्पनीय रूप से गर्म और घना था। जैसे-जैसे ब्रह्मांड का विस्तार हुआ, यह कम घना होता गया और ठंडा होने लगा।

  • महा विस्फोट के 10-43 सेकंड के बाद, अत्यधिक ऊर्जा(फोटान कणों के रूप में)  का ही अस्तित्व था। इसी समय क्वार्क , इलेक्ट्रान, एन्टी इलेक्ट्रान(पोजीट्रान)  जैसे मूलभूत कणों का निर्माण हुआ।


  • 10-34 सेकंड के पश्चात, क्वार्क और एन्टी क्वार्क जैसे कणो का मूलभूत कणों के अत्याधिक उर्जा के मध्य टकराव के कारण ज्यादा मात्रा मे निर्माण हुआ। इस समय कण और उनके प्रति-कण दोनों का निर्माण हो रहा था, इसमें से कुछ एक कण और उनके प्रति-कण दूसरे से टकरा कर खत्म भी हो रहे थे। इस समय ब्रम्हांड का आकार एक संतरे के आकार का था।


  • 10-10 सेकंड के पश्चात, एन्टी क्वार्क, क्वार्क से टकरा कर पूर्ण रूप से खत्म हो चुके थे, इस टकराव से फोटान का निर्माण हो रहा था। साथ में इसी समय प्रोटान और न्युट्रान का भी निर्माण हुआ।


  • 1 सेकंड के पश्चात, जब तापमान 10 अरब डिग्री सेल्सीयस था, ब्रह्मांड ने आकार लेना शुरू किया। उस समय ब्रह्मांड में ज्यादातर फोटान, इलेक्ट्रान , न्युट्रीनो और उनके प्रतिकणों के साथ मे कुछ मात्रा मे प्रोटान तथा न्युट्रान थे।


  • प्रोटान और न्युट्रान ने एक दूसरे के साथ मिल कर तत्वों(elements) का केन्द्र (nuclei) बनाना शुरू किया जिसे आज हम हाइड्रोजन, हीलीयम, लिथियम और ड्युटेरीयम के नाम से जानते है।


  • जब महा विस्फोट के बाद तीन मिनट बीत चुके थे, तापमान गिरकर 1 अरब डिग्री सेल्सीयस हो चुका था, तत्व और ब्रह्मांडीय विकिरण(cosmic radiation) का निर्माण हो चुका था। यह विकिरण आज भी मौजूद है और इसे महसूस किया जा सकता है।


  • आगे बढ़ने पर 300,000वर्ष के पश्चात, विस्तार करता हुआ ब्रह्मांड अभी भी आज के ब्रह्मांड से मेल नहीं खाता था। तत्व और विकिरण एक दूसरे से अलग होना शुरू हो चुके थे। इसी समय इलेक्ट्रान , केन्द्रक के साथ में मिल कर परमाणु का निर्माण कर रहे थे। परमाणु मिलकर अणु बना रहे थे।


  • इस के 1 अरब वर्ष पश्चात, ब्रह्मांड का एक निश्चित सा आकार बनना शुरू हुआ था। इसी समय क्वासर, प्रोटोगैलेक्सी(आकाशगंगा का प्रारंभिक रूप), तारों का जन्म होने लगा था। तारे हाइड्रोजन जलाकर भारी तत्वों का निर्माण कर रहे थे।


  • आज महा विस्फोट के लगभग 14 अरब साल पश्चात की स्थिती देखें ! तारों के साथ उनका सौर मंडल बन चुका है। परमाणु मिलकर कठिन अणु बना चुके है। जिसमे कुछ कठिन अणु जीवन( उदा.: Amino Acid) के मूलभूत कण है। यही नहीं काफी सारे तारे मर कर श्याम विवर(black hole) बन चुके है।

ब्रह्मांड का अभी भी विस्तार हो रहा है, और विस्तार की गति बढ़ती जा रही है। विस्तार होते हुये ब्रह्मांड की तुलना आप एक गुब्बारे से कर सकते है, जिस तरह गुब्बारे को फुलाने पर उसकी सतह पर स्थित बिन्दु एक दूसरे से दूर होते जाते है उसी तरह आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर जा रही है। यह विस्तार कुछ इस तरह से हो रहा है जिसका कोई केन्द्र नहीं है, हर आकाश गंगा दूसरी आकाशगंगा से दूर जा रही है।



 BIG BANG  से पहले क्या था?
अब एक चीज और दिमाग में आती है कि BIG BANG से पहले क्या था, Dark matter, black hole से लेकर ब्रह्मांड की कई परतें खोलने वाले वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का माना है कि BIG BANG से पहले कुछ था ही नहीं, उनका मानना है कि आइंस्टीन की Thoery of relativity के ही मुताबिक, Space और time का समीकरण मिलकर ही लगातार स्पेस और समय को बनाए रखते हैं. ये कभी नहीं रुकने वाली प्रक्रिया है|  BIG BANG  से पहले तो 'TIME' भी नहीं था. सारी एनर्जी और फिजिकल मैटर एक बिंदू पर ही केंद्रित थे| 



वैकल्पिक सिद्धांत(The Alternative Theory)

इस सिद्धांत के अनुसार काल और अंतरिक्ष एक साथ महा विस्फोट के साथ प्रारंभ नहीं हुये थे। इसकी मान्यता है कि काल अनादि है, इसका ना तो आदि है ना अंत। आइये इस सिद्धांत को जानें। आकाशगंगाओ(Galaxy) और आकाशीय पिंडों का समूह अंतरिक्ष में एक दूसरे से दूर जाते रहता है। महा विस्फोट के सिद्धांत के अनुसार आकाशीय पिण्डो की एक दूसरे से दूर जाने की गति महा विस्फोट के बाद के समय और आज के समय की तुलना में कम है। इसे आगे बढाते हुये यह सिद्धांत कहता है कि भविष्य मे आकाशीय पिंडों का गुरुत्वाकर्षण इस विस्तार की गति पर रोक लगाने मे सक्षम हो जायेगा। इसी समय विपरीत प्रक्रिया का प्रारंभ होगा अर्थात संकुचन का। सभी आकाशीय पिंड एक दूसरे के नजदीक और नजदीक आते जायेंगे और अंत में एक बिन्दु के रुप में संकुचित हो जायेंगे। इसी पल एक और महा विस्फोट होगा और एक नया ब्रह्मांड बनेगा, विस्तार की प्रक्रिया एक बार और प्रारंभ होगी। यह प्रक्रिया अनादि काल से चल रही है, हमारा विश्व इस विस्तार और संकुचन की प्रक्रिया में बने अनेकों विश्व में से एक है। इसके पहले भी अनेकों विश्व बने है और भविष्य में भी बनते रहेंगे। ब्रह्मांड के संकुचित होकर एक बिन्दु में बन जाने की प्रक्रिया को महा संकुचन(The Big Crunch) के नाम से जाना जाता है। हमारा विश्व भी एक ऐसे ही महा संकुचन में नष्ट हो जायेगा, जो एक महा विस्फोट के द्वारा नये ब्रह्मांड को जन्म देगा। यदि यह सिद्धांत सही है तब यह संकुचन की प्रक्रिया आज से 1 खरब 50 अरब वर्ष पश्चात प्रारंभ होगी।



यथास्थिति सिद्धांत (The Quite State Theory)


महा विस्फोट का सिद्धांत सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत है लेकिन सभी वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं हैं । वे मानते है कि ब्रह्मांड अनादि है, इसका ना तो आदि है ना अंत। उनके अनुसार ब्रह्मांड का महा विस्फोट से प्रारंभ नहीं हुआ था ना इसका अंत महा संकुचन से होगा। यह सिद्धांत मानता है कि ब्रह्मांड आज जैसा है वैसा ये हमेशा से था और हमेशा ऐसा ही रहेगा। 



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